फसलों की खेती पर कृषि वैज्ञानिकों ने रखे अपने विचार

महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौकमाफी पीपीगंज गोरखपुर में सेवारत कर्मचारियों हेतु, उद्यान विज्ञान विषय पर एक दिवसीय मसाला फसलों की उन्नतशील खेती विषय पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया I
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव, पशुपालन वैज्ञानिक डॉ विवेक प्रताप सिंह, प्रसार वैज्ञानिक डॉ राहुल कुमार सिंह, शस्य वैज्ञानिक डॉ अवनीश कुमार सिंह, मृदा वैज्ञानिक डॉ संदीप कुमार उपाध्याय ने सेवारत कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव ने बताया भारत में मसाला फसलों की खेती सदैव व्यवसाय के रूप में देखी गई है प्राचीन इतिहास इस बात का गवाह है कि मसालों की खेती एवं उससे जुड़ा व्यापार करोड़ों रुपए का था वर्तमान में मसाला एवं उनके उत्पादों का वैश्विक स्तर पर एक बहुत बड़ा बाजार है जो आयात निर्यात के रूप में संचालित होता है भारत में मसाला फसलों की खेती मुख्य रूप से दक्षिणी राज्य केरल कर्नाटक आदि में की जाती है दक्षिण राज्यों में मुख्य रूप से लौग, काली मिर्च, इलायची, जायफल जावित्री एवं दालचीनी को उगाया जाता है जिसका प्रयोग सारे भारत में किया जाता है इसी तरह से भारतीय राज्यों में हल्दी अदरक लहसुन प्याज सौंफ धनिया एवं मिर्च की खेती एक बड़े क्षेत्रफल पर की जाती है उत्पादन की दृष्टि से पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी कुछ मसाला फसलों जैसे धनिया मिर्च लहसुन प्याज मेथी की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है मसाला फसलों को उनके उगाने की प्रकृति एवं जीवन काल के आधार पर 1 वर्षीय, छमाही, 2 वर्षीय तथा शार्क वर्ग झाड़ी वाले तथा वृक्ष मसालों के रूप में विभिन्न भागों में बांट सकते हैं मसाला फसलों के विभिन्न उपयोग एवं प्रकारों के विषय में विस्तृत चर्चा के साथ ही साथ डॉक्टर श्रीवास्तव ने धनिया एवं मेथी की खेती के विषय में विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया ।
उन्होंने बताया कि धनिया के लिए उत्तम प्रजातियां राजेंद्र स्वाति पंत हरीतिमा तथा आजाद धनिया-1 हैं प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है इसके साथ ही साथ अगर वैज्ञानिक तरीके से धनिया की खेती की जा रही है तो इससे 10 से 12 कुंटल बीज उपज प्राप्त होती है इसी प्रकार मेथी फसल के लिए उपयुक्त प्रजातियां हैं पंत रागिनी, राजेंद्र क्रांति, पूसा अर्ली बंचिंग, आजाद मेथी-1 व आजाद मेथी-2। इसके लिए लगभग 25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयुक्त रहता है बीज शोधित करके ही बोना चाहिए वैज्ञानिक तरीके से अगर खेती की जाती है तो लगभग 25 से 30 दिन बाद इस की पत्ती की पहली कटाई कर सकते हैं। उपज की बात करें तो 70 से 75 कुंटल हरी पत्ती प्राप्त होती हैं । यदि बीज के लिए उगा रहे हैं तो लगभग12 से 15 किलोग्राम बीज उपज प्राप्त होती है कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक डॉ राहुल कुमार सिंह ने एफपीओ के विषय में कर्मचारियों को बताया।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि मंडी में किस तरह उपज को पहुचाया जाये जिससे किसानों की आय में बृद्धि होगी।इसी क्रम में डॉक्टर संदीप प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि कैसे कृषक उत्पादक कंपनी में फॉर्म मशीनरी बैंक, एवं इफको खाद,बीज के लाइसेंस लेकर आय को बढ़ा सकता है। डॉ अवनीश कुमार सिंह ने मसालों फसलों के कृषिकरण पर जानकारी दी कार्यक्रम में कृषि विभाग के लगभग एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया l